मेरे पास आओं मैं तुम्हें विश्राम दूंगा
जब प्रभु इस पृथ्वी पर थे, तब उन्होंने आमंत्रित करने वाले ये शब्द प्रायः बोलेः आओ, ‘‘हे थके और बोझ से दबे लोगों मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूंगा’’ (मत्ती 11:28)। ‘‘छोटे बच्चों को मेरे पास आने दो.. क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है’’ (मरकुस 10:14)। ‘‘यदि कोई प्यासा है तो मेरे पास आए और पीए’’ (यूहन्ना 7:37)। प्रभु हमेशा हमें अपने पास विश्राम और जीवन के लिए बुला रहा है।
न केवल प्रभु अपनी ओर से अनुग्रही रूप से हमें अपने पास बुला रहा है; परन्तु हमें, हमारी ओर से, हमारे पास भी उसके पास उस भरी बोझ के कारण जिसके अधीन हम परिश्रम कर रहें हैं आने की अति आवश्यकता है। हमारा युग अद्वितीय चिंता का युग है- प्राकृतिक आपदा की चिंता, बिमारी और महामारी से चिंता और परिणामस्वरूप अराजकता, आतंकवाद की धमकी से चिंता, अनिश्चित अर्थव्यवस्था पर चिंता। हम तो यह भी सोचते हैं कि हम नौकरी में रहेंगे या नहीं। हम सोचते हैं कि हमारे पास पर्याप्त भोजन और दवा होगी के नहीं। हम सोचते हैं कि हमारे बच्चों को किस प्रकार का संसार उत्तराधिकार में मिलेगा। ओह, कैसे हमें आने और खुद को बहुत से बोझों और चिंताओं से खुद को आराम देने की जरूरत है!
पाप की समस्या के कारण भी हमें उसके पास आने की बहुत ही अधिक जरूरत है। अपने विवेक में हम जानते हैं कि इस ब्रह्माण्ड में एक पवित्र परमेश्वर है, और कि हमें एक सीधा और नैतिक जीवन भी जीना चाहिए। परन्तु हमारी एक समस्या है… हम इसे नहीं कर सकते हैं। हम सभी ने परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है और मनुष्य के विरूद्ध अनगिनत बार पाप किया है। तो हम कैसे आ सकते हैं? हमारे आने के लिए यीशु क्या मांग रखता है?
एक शब्द में- कुछ भी नहीं! यीशु हमसे कुछ भी मांग नहीं करता है, क्योंकि उसने हमारे आने के लिए पहले से ही सारे प्रावधान पूरे कर दिए है। बाइबल कहती है ‘‘हम सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे… हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया़… और यहोवा ने हम सभी के अधर्म का बोझ उसी (यीशु) पर डाल दिया’’ (यश- 53ः6)। हमसे अब कोई मांग नहीं रही उसने हमारे पापों के लिए पूरी सजा को सहा है। हम पर पाप का कोई जुर्माना नहीं रहा क्योंकि यीशु ने क्रूस पर अपना लहू बहाया और हमारे लिए इसको सहा! उसने कर्ज चुका दिया है, इसलिए जब हम आए, तो हमें पूरा आश्वासन हो कि हमारे पापों को क्षमा कर दिया गया है। तब वह मृतकों में से जी उठा और जीवन-दायक आत्मा बना (1 कुर- 15:45) ताकि वह हम में आ सके और हमारे भीतर विश्राम और शन्ति हो।
प्रभु यीशु अच्छे काम के लिए नहीं कहते है… वह अच्छे चरित्र के बारे में नहीं कहते.. वह काबिलीयत का प्रमाण नहीं मांगते-वह बस कहते हैं ‘‘आओ’’ और जो आते हैं, वह उन्हें बेशर्त प्रतिज्ञा देता हैः ‘‘जो कोई मेरे पास आता उसे मैं किसी भी तरीके से दूर नहीं करूंगा’’ (यूहन्ना 6:37)। जो अब हमें करना है वह बस उसके पास आना है। और आने का अर्थ क्या है? आना परमेश्वर के करीब खींचे आना है। आना उसके नाम को पुकारना है। उसके पास आना उसमें विश्वास करना और उसे ग्रहण करना है।
प्रभु इंतजार कर रहें है कि आप इस पल जैसे भी हैं वैसे ही उसके पास आएं। अपने वर्तमान पापों के साथ उसके पास आएं। अपने वर्तमान भय के साथ उसके पास आएं। जैसे आप हैं वैसे ही आएं। अपने आपको सुधारने तक इंतजार मत करो-वह दिन कभी नहीं आएगा। हमारे निमित्त यीशु की मृत्यु ने सारी कमी को पूरा कर दिया है। इंतजार करने की जरूरत नहीं है- बस आओ। यदि आप आते हैं, यदि आप यीशु में विश्वास करते हैं, यदि आप अपने हृदय को खोलकर उसे पुकारते हैं, तो वह आपको ग्रहण करेगा। उसकी प्रतिज्ञा सदैव निश्चित है- ‘‘जो कोई मेरे पास आता है मैं उसे किसी भी रीति से दूर नहीं करूंगा।’’ बस आइए।
प्रभु यीशु, मैं अंगीकार करता हूँ कि मैं पापी हूँ। मैं अंगीकार करता हूँ कि मुझे डर और संदेह हैं, परन्तु मैं अब आपके पास आता हूँ। मैं आपसे कहता हूँ कि आप मुझे अपने बहुमूल्य लहू से शुद्ध करे, और मैं आपकी प्रतिज्ञा पर विश्वास करता हूँ कि आप मुझे किसी भी रीति से दूर नहीं करोगे। तो जैसा मैं हूँ वैसे ही आपके पास आता हूँ, और आपके वचन से मैं जानता हूँ कि आप मुझे ग्रहण करेंगे। मैं आपसे मुझमें आने के लिए कहता हूँ। प्रभु यीशु, मैं बस आता हूँ कि आप मेरा विश्राम बन जाओ ।
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