क्या मुझे परमेश्वर को मानने के लिए प्रमाण या विश्वास की जरुरत है?
लोग लगातार परमेश्वर के अस्तित्व में होने या फिर ना होने को साबित करने की कोशिश करते है। आप कैसे साबित करते हैं कि परमेश्वर वास्तविक है?
लोग अक्सर परमेश्वर के अस्तित्व में होने या फिर ना होने को प्रमाणित करते आए है। और अभी भी लोग इस सवाल के बारे में पूछ रहे है तो हम कैसे साबित करे की परमेश्वर वास्तव में है।
कल्पना कीजिये इन दो लोगों पर: एक विज्ञान और धर्मशास्त्र के बारे में रूचि रखता है और हमेशा नवीनतम खोज या विवाद पर चर्चा करना पसंद करता है। दूसरा, विज्ञान, सिद्धांतों या बाइबल का अध्ययन करने में कोई दिलचस्पी नहीं लेता है, जो निष्पक्ष रहना पसंद करता हैं। इनमें से कौन सा परमेश्वर में विश्वास करने की अधिक संभावना रखता है? आपको लगेगा की पहले व्यक्ति के पास अपने ज्ञान और समझ की गहराई के कारण एक बड़ी उम्मीद है। हालांकि, जवाब यह है कि वे दोनों विश्वास करने की समान संभावना रखते हैं। परमेश्वर में विश्वास इस बात पर आधारित नहीं है कि आपके पास कितना ज्ञान या सबूत है। यह विश्वास की बात है।
परन्तु विश्वास क्या है? और यह कहां से आता है? कुछ लोग कहते हैं कि यदि यीशु सीधे उनके सामने प्रकट हो जाये, या फिर जब ईसा मसीह धरती पे थे, तो वे उस समय रहते, तो उन्हें विश्वास करने में कोई समस्या नहीं होती। हालांकि, हम बाइबल में देखते हैं कि हजारों लोग जिन्होंने यीशु को देखा, यहां तक कि यीशु से बात की, और फिर भी विश्वास नहीं किया। विश्वास आपके लिए तथ्यों को पेश करने या साबित करने वाली बात नहीं है। आपको इस तथ्य को सत्य मानने की भी बात नहीं हैं, और आपकी आगामी धारणा है। विश्वास प्रमाण या विवाद से पूरी तरह से अलग क्षेत्र में है। विश्वास वास्तव में परमेश्वर द्वारा हमें दी गई हमारी विश्वास क्षमता है। विश्वास वास्तविक और पर्याप्त है। ना की परमेश्वर के विषय में सिद्ध होने के लिए है। परन्तु परमेश्वर को अनुभव किये जाना के लिए है, और हम विश्वास से उसे अनुभव कर सकते हैं।
चूंकि वह चाहते है कि हम उसे अनुभव करे। उसे पाने का मार्ग हमारी विभिन्न खोज के बाद अपने तरीके से खोजना या पाना नहीं है, यह बहुत आसान है, बस हम इतना उसे कहे, “परमेश्वर क्या आप वास्तव में हो? तो मुझे साबित करे की आप वास्तव में हो।” यदि आप उस समय कुछ महसूस करते है तो आप जान जानोगे, यह अहसास बहुत आश्चर्यजनक है। अगर आप को कुछ महसूस नहीं हुआ, तो कोई बात नहीं। आप ने परमेश्वर से पूछा, अब उन को साबित करना है की वह वास्तविक है। और आप अपने काम में बने रहो। अगर आपको अब भी कोई उलझन है की वह वास्तविक है, तो आप फिर से पूछें कभी ना कभी वह अपने आप को साबित करेगा।
बाइबल में एक आदमी है, जिसका नाम अय्यूब था; उसने परमेश्वर के विषय में सुना था, और उसने परमेश्वर के बारे में जो कुछ भी जाना था, उसके अनुसार व्यवहार करने की कोशिश की थी। दरअसल अय्यूब को एक अच्छे स्वाभाव की नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत रूप से स्वयं परमेश्वर को देखने की जरूरत थी। अय्यूब की तरह परमेश्वर आप पर भी प्रकट हो सकते है। प्रभु का व्यक्तित्व प्रकट होने का आपका अनुभव ज्ञान रखना से कई ज्यादा गहरा है। यह एक अंदरूनी देखना है, एक स्थिर, कभी न बदलने वाला आश्वासन जो आपके भितरी अस्तित्व में है। कि परमेश्वर सच में वास्तविक है। जब अय्यूब ने परमेश्वर को देखा तो उसका यह कहना था:
“मेने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं।” अय्यूब 42:5