शांति और सुरक्षा
“जब लोग कहते होंगे, कि शांति, और सुरक्षा है, तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा....” (1 थिस्स्लु 5:3)।
मानव समाज को बनाने का इरादा है कि यह हमें शांति और सुरक्षा प्रदान करें। बिना शांति और सुरक्षा, हमारा जीवन भय और संदेह में बीतता है। हमारी सरकार हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है; हमारे अस्पताल और चिकित्सालय हमारे स्वास्थ्य और शारीरिक कल्याण को संरक्षित करना चाहते हैं हमारे बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान हमारी बचत और निवेश के लिए सुरक्षा का वादा करते हैं। लेकिन आखिरकार, हम अपने वित्तीय संस्थानों, हमारी सरकार, हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और कई अन्य चीजों में जो सुरक्षा का वादा करते हैं, उस पर हम कितना भरोसा कर सकते हैं?
जब पर्याप्त जांच और विचारशील विचार के तहत रखा जाता हैं, सब कुछ और हम जिस पर भरोसा करते हैं और जिस पर निर्भर हैं, वह हमें पूर्ण शांति और सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता है ऐसी दुनिया में जो आज भी युद्ध, गरीबी, बीमारी, अपराध और अन्याय से त्रस्त है, मानव समाज में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमें अन्नत शांति और सुरक्षा का आश्वासन दे सके। यहां तक की बाइबल हमें बताती है कि “जब लोग कहते होंगे, कि शांति, और सुरक्षा है, तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा....” (1 थिस्स्लु 5:3)।
परमेश्वर के वचन के अनुसार, सच्चि शांति और सुरक्षा सिर्फ यीशु मसीह और उसके अन्नत जीवन मे पा सकते हैं। यूहन्ना 3:16 में हम देख सकते है कि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, कि जो कोई उस पर विश्वास करें वह नष्ट न हो परंतु अनंत जीवन पाए। यहां पर जो अनंत जीवन बताया गया है वह दिव्यजीवन है, परमेश्वर का अरचित जीवन, जो न केवल समय के संबंध में चिरस्थाई है मगर अनंत और स्वभाव में दिव्य भी है। यह जीवन स्वयं परमेश्वर है, और उसका जीवन अविनाशी है (यूहन्ना 14:6)। स्वयं परमेश्वर के इलावा कुछ भी अनंत रूप से सुरक्षित नहीं है।
हमारी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने से जुड़ी सभी समस्याएं अंत में केवल मसीह में ही हल होती है। जबकि दुनिया कई स्रोतो से खतरे में है- बीमारी और छूत से, एक ढहती हुई अर्थव्यवस्था से, अपराधियों और आतंकवादियों से जो चोरी, हत्या और विनाश करेंगे- मसीह आया कि हम जीवन पाए और परिपूर्णता से पाए (यूहन्ना 10:10)। मसीह न केवल हमारी सुरक्षा है परंतु वह हमारी शांति भी है: “मैं तुम्हें शांति दिए जाता हूं; अपनी शांति तुम में ही देता हूं; ऐसे नहीं देता जैसे संसार तुम्हें देता है। तुम्हारा मन व्याकुल न हो, और न भयभीत हो”(यूहन्ना 14:27)।
यदि तुम्हारा हृदय व्याकुल है, उसमें विश्वास करो (यूहन्ना 14:1)। यदि आपके पास परमेश्वर के अनंत जीवन की सुरक्षा नहीं है, परमेश्वर के पुत्र के नाम में विश्वास करो (1 यूहन्ना 5:13) और उससे उसके जीवन को मांगो। उसके पास एक खुले और सच्चे हृदय से आए और उससे मांगे:
प्रभु यीशु, मुझे आपकी जरूरत है। प्रभु, मैं आपमें विश्वास करता हूं, मुझमें आ! अभी अपना जीवन मुझ में प्रदान कर। मुझे अपनी शांति से भर दे। प्रभु धन्यवाद कि आप मेरी सच्ची शांति और सुरक्षा हो, प्रभु, मैं आपसे प्रेम करता हूं।
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